हर कपल का पैरेंटिंग स्टाइल अलग होता है। कुछ पैरेंट्स अपने बच्चे को लेकर बहुत अधिक प्रोटेक्टिव रहते हैं। उनकी अपने बच्चे के हर कदम पर नजर होती है और वे उसे रोक-टोक करते रहते हैं। उन्हें लगता है कि इससे वे अपने बच्चे को हर बुराई से बचा सकते हैं। लेकिन हाइपर पैरेंटिंग वास्तव में बच्चे के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इससे बच्च्चे को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
हाइपर पैरेंटिंग के एक या दो नहीं, बल्कि कई नुकसान हो सकते हैं। यह बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर डालता है। साथ ही साथ, इससे बच्चों और पैरेंट्स के बीच का रिश्ता भी विपरीत तरीके से प्रभावित होता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको हाइपर पैरेंटिंग से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में बता रहे हैं-
हाइपर पैरेंटिंग क्या है
ऐसे बहुत से लोग होते हैं, जिन्हें हाइपर पैरेंटिंग के बारे में पता ही नहीं हाता है। यह वास्तव में एक तरह का पैरेंटिंग स्टाइल है, जिसमें पैरेंट्स अपने बच्चे को लेकर बहुत प्रोटेक्टिव रहते हैं। पैरेंट्स अपने बच्चों की हर समस्या या प्रॉब्लम को खुद ही हल करने का प्रयास करते हैं। ऐसा करने से बच्चे अपने जीवन में बाधाओं के संपर्क में नहीं आते हैं। ना ही वे गलतियों से सीख पाते हैं और ना ही अपने दम पर निर्णय ले पाते हैं। हाइपर पैरेंटिंग स्टाइल कुछ वक्त के लिए तो लाभदायक हो सकता है, लेकिन लंबे समय में यह बेहद नुकसानदेह होता है।
हाइपर पैरेंटिंग के नुकसान
हाइपर पैरेंटिंग के कई नुकसान हो सकते हैं। मसलन-
• हाइपर पैरेंटिंग स्टाइल में पैरेंट्स अपने बच्चे को सबसे बेहतर बनाना चाहते हैं और इसलिए वे उनकी समस्याओं को खुद ही सॉल्व करने लग जाते हैं। ऐसे में बच्चे के खुद गलती करके सीखने के अवसर बेहद कम हो जाते हैं।
• ऐसे बच्चे के लिए खुद कुछ भी करने के अवसर कम होते हैं और इसलिए उनका आत्मविश्वास काफी कम हो जाता है। ऐसे बच्चे अपने जीवन में आगे बढ़ने या फिर अपने कार्यों को पूरा करने के लिए जीवनभर दूसरों की मदद चाहते हैं।
• जब बच्चों को खुद कुछ करने मौका नहीं मिलता है तो कहीं ना कहीं इससे वे खुद को बंधा हुआ सा महसूस करते हैं। उन्हें अपने ही घर में एक अजीब तरह की घुटन होती है। जिससे बच्चों के मन में तनाव व हताशा जगह बनाने लग जाती है।
• हाइपर पैरेंटिंग स्टाइल बच्चों को अपने ही पैरेंट्स का दुश्मन बना देती है। चूंकि ऐसे बच्चों के पैरेंट्स हर वक्त उन पर नजर रखते हैं। जिसके कारण बच्चों को ऐसा लगने लगता है कि पैरेंट्स उनके दुश्मन हैं। वे उन्हें नहीं समझते हैं और हर छोटी-छोटी बात पर रोकते-टोकते हैं। ऐसे में उनके मन में अपने पैरेंट्स से दूरी बनने लगती है। वे अपने पैरेंट्स से दूर भागने लग जाते हैं और उनसे झूठ भी बोलने लगते हैं। ऐसे बच्चे अपने पैरेंट्स से कई बातें छिपाते हैं। जिससे उनके बीच समस्या पैदा होने लग जाती है।
• हाइपर पैरेंटिंग स्टाइल से पलने वाले बच्चे स्वभाव से कई बार डरपोक होते हैं। उन्हें अपने जीवन में खुद कुछ करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे में आगे चलकर भी किसी भी चीज को करने और फिर किसी भी मुश्किल का सामना करने से बचते हैं। वे अपने जीवन में हमेशा एक अतिरिक्त सपोर्ट चाहते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे मानसिक तौर पर बहुत अधिक स्ट्रॉन्ग नहीं होते हैं।
• ऐसे बच्चे सोशली भी खुद को बहुत अधिक एक्टिव नहीं रख पाते हैं। वे अक्सर बाहरी दुनिया से बहुत अधिक चिंतित महसूस करते हैं। अन्य बच्चों की तुलना में वे अधिक आसानी से हार मान लेते हैं। इतना ही नहीं, अगर उन्हें थोड़ी सी भी समस्या होती है तो ऐसे में वे तुरंत अपने पैरेंट्स की ओर दौड़ पड़ते हैं।