समझते हैं रंगों की दुनिया (Colour Effect)
ईशा सिंह बताती हैं, ‘ यदि आप सीधे तौर पर देखेंगी, तो मन पर रंग का प्रभाव नहीं दिख सकता है। रंगों के प्रति हमारी अपनी पसंद भी इसके पीछे काम करती है। कुछ रंग हमें अच्छे लगते हैं, तो कुछ बुरे भी। उदाहरण के लिए हम उन्हीं रंग के कपड़ों को पसंद करते हैं, जो हमें अच्छा और शांत महसूस कराते हैं। उन रंग के कपड़ों को पसंद नहीं करते हैं, जो अच्छा नहीं महसूस कराते हैं।
खाने में भी रंगों की पसंद को तवज्जो दी जाती है। कभी-कभी हम कुछ खास रंग की ही आइसक्रीम को पसंद करते हैं। इसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि स्वाद, कपड़े, व्यक्ति के मूड, तनाव, उम्र और लिंग जैसी अन्य चीजों के साथ रंगों का मिलान करने पर इनका मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है।
थ्योरी ऑफ़ कलर्स (Theory of Colors)
फ्रंटियर्स इन सायकोलोजी जर्नल में अमेरिका के रोचेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एंड्रयू जे इलियट बताते हैं कि किसी ख़ास रंग के प्रति आकर्षण हजारों वर्षों से है। शोधकर्ता स्लोएन गोएथे वर्ष 1810 में ही इस विषय पर थ्योरी ऑफ़ कलर्स लिखा। उन्होंने रंग श्रेणियों जैसे- पीले, लाल रंगों को भावनात्मक प्रतिक्रिया से जोड़ा। ये रंग गर्मी और उत्तेजना से जुड़े हैं।
छोटी वेव लेंथ (Small Wavelength colour) वाले रंग सुकून दिलाते हैं
गोल्डस्टीन ने गोएथे की थ्योरी को विस्तार रूप में बताया। उन्होंने माना कि कुछ रंग भावनात्मक अनुभव, संज्ञानात्मक अभिविन्यास और प्रत्यक्ष क्रिया पर व्यवस्थित शारीरिक प्रतिक्रियाओं का उत्पादन करते हैं।
गोल्डस्टीन के विचारों के आधार पर वैज्ञानिकों ने तरंग दैर्ध्य यानी वेब लेंथ पर ध्यान केंद्रित किया। यह माना गया कि लंबे वेब लेंथ वाले रंग व्यक्ति को उत्तेजित या गर्म महसूस कराते हैं। जबकि छोटे वेब लेंथ वाले रंग आराम या ठंडक महसूस कराते हैं।
मन-मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं रंग (colors effect on brain)
कई अध्ययन यह बताते हैं कि हरे रंग (Green color effect on brain) को देखने से हमारी आंखों और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मेलबोर्न विश्वविद्यालय से डॉ. केट ली के नेतृत्व में एक उल्लेखनीय और बहुप्रतीक्षित अध्ययन हुआ। इसमें 150 विश्वविद्यालय के छात्रों ने भाग लिया। एक समूह को हरियाली से भरी छत की छवि देखने को कहा गया। वहीँ दूसरे ग्रुप ने एक सादे कंक्रीट की छत को देखा। हरियाली देखने वाले समूह ने कम त्रुटियों के साथ उल्लेखनीय रूप से बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने बेहतर एकाग्रता दिखाई।
क्यों इतना खास है पीला रंग (Yellow color effect on Brain)
ईशा सिंह बताती हैं, ‘बहुत से लोग पीले रंग को गर्म प्रकाश के रूप में देखते हैं।जो कहीं न कहीं सुबह की सूरज की किरणों का प्रतीक है। इसलिए मनोवैज्ञानिक रूप से वे सकारात्मक, एनर्जेटिक और शांत महसूस करते हैं।
जर्नल ऑफ़ फिजिकल थेरेपी साइंस में प्रकाशित शोध के अनुसार, धूप का रंग पीला होता है। इसका मन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। यह आशा, खुशी और ऊर्जा से जुड़ा रंग है।
स्टडी के अनुसार, पीला रंग व्यक्ति को तनाव मुक्त होने का एहसास दिलाता है। अंधेरी रात के बाद जब सूर्य की पीली किरणें पडती हैं, तो व्यक्ति खुश और आशावादी महसूस कर सकता है। जाड़े के दिनों में सूर्य की कमी के कारण उदासी का एहसास होता है। यहीं से सैड थेरेपी (SAD Therapy) निकली। इसलिए मन को प्रफुल्लित करने के लिए सुबह के उगते सूरज को निहारें।