बच्चे बुली या दादागिरी क्यों दिखाते हैं?
कुछ बच्चे स्कूल या फिर खेल के मैदान पर अक्सर दूसरे बच्चों को परेशान करते हैं, उनके साथ मारपीट भी करते हैं। लेकिन बच्चे ऐसा करते क्यों हैं ? ये सबसे बड़ा सवाल है। इसके पीछे का जवाब ये है कि इसके पीछे छुपकर वो अपनी कमियां या उनकी सोशल प्रॉबलब्स हैं उनको छुपाने की कोशिश कर सकते हैं। अपना गुस्सा दूसरे पर निकालते है। अगर वो किसी बात से परेशान हैं या बच्चा अपनी बात किसी से नहीं कह पा रहा तो इसके बदले वो दूसरे बच्चों के साथ मारपीट या फिर उनका धमकाने का काम करने लगता है। क्योंकि डराना-धमकाना उसे आसान तरीका लगता है, जिसके बाद ये उनकी आदत में शुमार हो जाता है। जो बाद में अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते हैं। दूसरों के साथ भी गाली-गलौज करते हुए आप देख सकते हैं, क्योंकि ऐसा करना उनकी आदत में शुमार हो चुका होता है। बच्चों के इस तरह के व्यवहार के लिए काफी हद तक घर का माहौल भी जिम्मेदार होता है। अगर घर में पेरेंट्स के बीच में लड़ाई-झगड़े होते हैं, पिता बच्चे की मां के साथ मारपीट करता है, या फिर घर में गाली गलौज देने वाले लोग रहते हैं, और सबसे महत्वपूर्म बच्चे पर ध्यान ना दिया जाना, बच्चे के बुली या दादागिरी वाले व्यवहार के लिए जिम्मेदार होते हैं।
बच्चे को बुली बनने से कैसे रोकें-
बच्चे के गुस्सैल रवैये पर ध्यान देना आपको शुरू करना होगा। क्योंकि बच्चा ऐसा हरकते 6-7 साल की उम्र से शुरू कर देता है। उसके इस व्यवहार में बदलाव लाने की कोशिश करें। उनको आपको कम उम्र में ही समझाना शुरू कर देना होगा कि क्या है औक क्या गलत। डराना, धमकी देना या मारपीट करना क्या है, इससे उसको क्या क्या नुकसान हो सकते है।
आपको उसे समझाना शुरू करना होगा कि उसके घर में मारपीट, धमकी देना अच्छी बात नहीं माना जाता है। ऐसा करने से उसके पेरेंट्स को लोग सही नहीं समझेंगे। बच्चे को प्यार से आपको समधाना होगा। अगर आपने गुस्सा या फिर उसके साथ सख्ती की तो वो और भी अग्रेसिव होने लग जाएगा।
कभी ना दें बच्चे को शाबासी
कई ऐसे पेरेंट्स भी होते हैं जो अपने बच्चों की गुस्से वाले व्यवाहर या फिर मारपीट, अगर वो अपने भाई-बहनों से भी करता है तो उसे शाबासी देने लगते हैं या फिर उसकी तारीफ करते हैं। ऐसा बोल कर वो अपने बच्चे को खराब कर रहे होते हैं। आपकी मज़ाक में कहीं बातें बच्चा अपनी तारीफ समझकर वही हरकत स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ भी करने लगता है। पेरेंट्स को बच्चों के साथ अपने इस रवैये में बदलाव करना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते तो मज़ाक में भी आपके मुंह से मारपीट जैसी हरकतों की तारीफ ना करें। बल्कि, बच्चे को समझाएं कि अन्य लोगों के साथ उसका ऐसा व्यवहार ठीक नहीं। माता-पिता ये गलतीकरने से बचें और बच्चे को किसी और पर हाथ उठाने से रोकें।
बच्चे को दूसरे के साथ व्यवहार और सम्मान करना सिखाएं-
आप ये सोंचे कि एक बार समझाने के बाद बच्चे समझ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर बच्चा बुली करने वाला है तो उसके लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा, लेकिन जब आप उसे धीरे-धीरे प्यार से समझाएं तो वो जरूर सीखेंगे। इसी के साथ आप उसके व्यवाहर पर भी नजर बनाएं रखे।
सुने बच्चे की शिकायत करने वालों की बात
अगर कोई आपके बच्चे की शिकायत करने के लिए आता है तो आप उसकी बात को गौर से सुने, आपके बच्चे ने कैसी हरकत और कैसा व्यवहार किया है, ये आपको जानने की जरूरत है। लेकिन इन सब के बीच आप बच्चे की तारीफ बिल्कुल भी ना करें ना ही उसे उस वक्त किसी दूसरे के सामने डांटे या मारें। ऐसा करने से बच्चा और गुस्सैल हो जाएगा और शिकायत करने वाले शख्स से बदला लेने पर भी आ सकता है। ऐसे में आप अपने बच्चे को आराम से बैठाकर उससे भी बात करें कि उसने ऐसा क्यों किया, क्या वजह थी कि उसे ऐसा करना पड़ गया। जब आप उसकी बात आराम से सुनेंगे तो उसे लगेगा कि हां मेरी बात भी सुनने वाला कोई है। इस दौरान आप उसे बिना डांटे और मारपीट किये प्यार से समझाएं, कि ऐसा वो कोई काम ना करे जिससे उसके घर पर लोग इस तरह से शिकायत करने के लिए आएं।
घर में जवाबदेही का माहौल बनाएं-
हर परिवार के लिए ये सबसे जरूरी बात है कि आपके घर में हर सदस्य की जवाबदेही की संस्कृति हो। इसका मतलब है कि घर का हर सदस्य, जिसमें आपका बच्चा भी शामिल है आपके प्रति जवाबदेह होगा। बच्चा आपके साथ कैसे बातचीत करता है, साथ ही घर के अन्य सदस्यों, अपने भाई बहन के साथ उसका रिलेशन कैसा है। बच्चा इन सब के लिए जवाबदेह होगा। जब आप देखें कि बच्चा अपने से बड़े भाई या बहन के साथ मिसबिहेव कर रहा है, तब उसकी बातों में ना आकर उसके बिहेवियर को लेकर उसे जवाबदेह बनाएं।
पेरेंट्स घर में लड़ाई झगड़े के माहौल को खत्म करें
एक बच्चा, जो दूसरे को बुली करता है, उसे ये सीखने की जरूरत है कि बिना कुछ किए ही वो अपनी भावनाओं से कैसे निपट सकता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण समाधान है उसके पेरेंटस की बिहेवियर। पेरेंट्स ही होते जो घर में लड़ाई झगड़े के माहौल को खत्म कर सकते हैं। अगर वो आपस में सही ढंग से बातचीत करें तो बच्चा भी वहीं सीखता है जो उसके माता-पिता करते हैं। जब बच्चा कुछ गलत करें तो उसकी हरकत पर उसे उसी वक्त टोकें। बच्चे को बताना कि क्या सही है क्या गलत, ये पेरेंट्स का फर्ज है। बच्चे की परेशानी, तकलीफ को समझना हर मां-बाप की जिम्मेदारी है।